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Shri Jhulelal Chalisa | श्री झूलेलाल चालीसा | Singer Raj Juriani 9324364000
#rajjuriani
Sindhi Jhulelal Songs | Raj Juriani : https://www.youtube.com/watch?v=5hlPlVKjyIY&list=PL7D92EAD7D47ED263
Raj Juriani - 9324364000
Shri Jhulelal Chalisa Lyrics श्री झूलेलाल चालीसा
नित्य प्रति पढ़े, प्रेम प्रीत चित लाय ।
ताके कार्य सफल करे, श्री झूलेलाल होय सहाय ।।
॥ दोहा ॥
जय जय जय जल के देवता, जय जय ज्योति स्वरूप ।
अमर उडेरोलाल जय, झूलेलाल अनूप ||
॥ चौपाई ॥
रतनलाल रतनाणी नन्दन, जयति देवकी सुत जग वन्दन ।
दरियाशाह वरुण अवतारी, जय-जय लाल सांईं सुखकारी।
जब जब होय धर्म की भीरा, ज़िन्दह पीर हरे जन पीरा ।
संवत् दस सौ सात मंझारा, चैत्र शुक्ल द्वितीया शुक्र वारा।
झूलण सांईं झूले झूले झूले
वरुण देवा झूले झूले झूले
जोतयुनि वारो झूले झूले झूले
उॾेरोलाल झूले झूले झूले
ग्राम नसरपुर सिन्ध प्रदेशा, प्रभु अवतारे हरे जन क्लेशा ।
सिन्धु वीर ठट्ठा रजधानी, मिरखशाह नृप अति अभिमानी।
कपटी कुटिल कुविचारी, यवन मलिन मन अत्याचारी ।
धर्मान्तरण करे सब केरा, दुखी हुए जन कष्ट घनेरा ।
पिटवाया हाकिम ढिन्ढोरा, हो इस्लाम धर्म चहुंओरा ।
हिन्दू प्रजा बहुत घबराई, इष्टदेव की टेर लगाई।
वरुण देव पूजे बहुभांती, बिन जल अन्न गए दिन राती ।
सिन्धु सीर सब दिन चालीसा, घर - घर ध्यान मनाए ईशा ।
झूलण सांईं झूले झूले झूले
वरुण देवा झूले झूले झूले
जोतयुनि वारो झूले झूले झूले
उॾेरोलाल झूले झूले झूले
गरज उठा नद सिन्धु सहसा, चारों ओर उठा नव हरषा ।
वरुणदेव ने सुनी पुकारा, प्रकटे वरुण मीन असवारा।
दिव्य पुरुष जल ब्रह्म स्वरूपा, कर पुस्तक नवरूप अनूपा।
हर्षित हुए सकल नर नारी, वरुणदेव की महिमा न्यारी ।
जय-जयकार उठी चहुंओरा, गई रात आने को भौंरा ।
मिरखशाह नृप अत्याचारी, नष्ट करूंगा शक्ति सारी ।
दूर अधर्म, हरण भू भारा, शीघ्र नसरपुर में अवतारा ।
रतनराय रतनानी आँगन, खेलूँगा, आऊँगा शिशु बन ।
रतनराय घर खुशी आई, लाल अवतारे सब देय बधाई ।
घर-घर मंगल गीत सुहाए, झूलेलाल हरन दुख आए।
झूलण सांईं झूले झूले झूले
वरुण देवा झूले झूले झूले
जोतयुनि वारो झूले झूले झूले
उॾेरोलाल झूले झूले झूले
मिरखशाह तक चर्चा आई, भेजा मंत्री क्रोध अधिकाई ।
मंत्री ने जब बाल निहारा, धीरज गया हृदय का सारा ।
देखी मंत्री सांईं की लीला, अधिक विचित्र मनमोहन शीला ।
बालक दिखा युवा सेनानी, देखा मंत्री बुद्धि चकरानी ।
योद्धा रूप दिखे भगवाना, मंत्री हुआ विगत अभिमाना।
झूलेलाल दिया आदेशा, जा तव नृपति कहो सन्देशा ।
मिरखशाह नृप तजे गुमाना, हिन्दू-मुस्लिम एक समाना ।
बन्द करो निज अत्याचारा, त्यागो धर्मान्तरण विचारा ।
लेकिन मिरखशाह अभिमानी, वरुणदेव की बात न मानी ।
झूलण सांईं झूले झूले झूले
वरुण देवा झूले झूले झूले
जोतयुनि वारो झूले झूले झूले
उॾेरोलाल झूले झूले झूले
एक दिवस हो अश्व सवारा, झूलेलाल गए दरबारा ।
मिरखशाह नृप ने आज्ञा दी, झूलेलाल बनाओ बन्दी ।
किया स्वरूप वरुण का धारण, चारों ओर हुआ जल प्लावन ।
दरबारी डूबे उतराये, नृप के होश ठिकाने आए ।
नृप तब पड़ा चरण में आई, जय-जय धन्य धन्य जय सांईं ।
वापिस लिया नृपति आदेशा, दूर-दूर सब जन क्लेशा ।
संवत् दस सौ बीस मंझारी, भाद्र शुक्ल चौदस शुभकारी ।
भक्तों की हर आधी व्याधी, जल में ली जलदेव समाधी ।
जो जन धरे आज भी ध्याना, उनका वरुण करे कल्याणा |
चालीसा चालीस दिन पाठ करे जो कोय ।
पावे मनवांछित फल अरु जीवन सुखमय होय ।
झूलण सांईं झूले झूले झूले
वरुण देवा झूले झूले झूले
जोतयुनि वारो झूले झूले झूले
उॾेरोलाल झूले झूले झूले
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